राज्य में दिसंबर माह में होने जा रहे वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले प्रदेश सरकार ने पहली आयुष नीति को हरी झंडी दे दी है। इस नीति में आयुष फार्मेसी उद्योगों को एमएसएमई नीति में मिलने वाली सब्सिडी के अलावा 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। इसके साथ ही आयुष हेल्थ वेलनेस केंद्रों में पूंजी निवेश पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया।
राज्य में आयुष क्षेत्र में निवेश की संभावना को देखते हुए सरकार ने नई नीति को मंजूरी दी है। जिसमें प्रदेश में जड़ी-बूटी, सगंध पौधों की खेती को बढ़ावा देकर उत्पादन बढ़ाने, राज्य में नये आयुष फार्मा उद्योगों को प्रोत्साहित करने के साथ ही आयुष शिक्षा की गुणवत्ता के साथ शोध व अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाएगा।
राज्य में आयुष फार्मेसी विनिर्माण उद्योगों को एमएसएमई नीति का लाभ तो मिलेगा ही। साथ ही भवन, संयंत्र व मशीनरी लगाने के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ जीएमपी प्रमाणन पर आने वाले खर्च की उद्योगों को प्रतिपूर्ति की जाएगी। इससे आयुर्वेद दवाइयों का निर्यात बढ़ेगा। आयुष विनिर्माण इकाइयों को उनके उत्पादों के लिए आयुष स्टैंडर्ड मार्क प्राप्त करना अनिवार्य होगा। राज्य होम्योपैथिक दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए एक विशिष्ट होम्योपैथिक औषधि परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी
नीति में आयुर्वेद कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नैक ग्रेडिंग प्राप्त करने पर प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया है। जिसमें ए डबल प्लस ग्रेडिंग कॉलेज को 15 लाख, ए प्लस को 10 लाख, ए ग्रेडिंग को 5 लाख, बी डबल प्लस को 2.5 लाख रुपये की राशि दी जाएसगी। नेशनल एग्रीडेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल एंड हेल्थ केयर (एनएबीएच) की मान्यता पर आने वाले खर्च की कॉलेजों को प्रतिपूर्ति की जाएगी
राज्य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए नीति में पांच क्षेत्रों का वर्गीकरण किया गया। जिसमें जड़ी-बूटी की व्यावसायिक खेती, आयुष फार्मा विनिर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस, शिक्षा व अनुसंधान पर विशेष फोकस किया गया। उत्तराखंड की कई प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत हैं जो इसे आयुष प्रदेश के रूप में स्थापित होने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती हैं। इसमें दुर्लभ जड़ी-बूटियों, आयुष चिकित्सा के लिए अनुकूल स्थलों व वातावरण की उपलब्धता है।