मौनी अमावस्या के दिन ही सृष्टि के आदि पुरुष महाराज मनु का जन्म हुआ था। इस कारण भी इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
इस बार मौनी अमावस्या का योग दो दिन 31 जनवरी और एक फरवरी को पड़ रहा है। दो दिन मौनी अमावस्या होने के कारण स्नान के लिए विशेष योग पड़ रहा है। इस दिन स्नान, दान, तर्पण, पितृ यज्ञ आदि करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
सोमवार व मंगलवार को पड़ने पर महत्व खास
आईआईटी स्थित सरस्वती मंदिर के पुजारी आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि 31 जनवरी को सोमवती और एक फरवरी को भौमवती का योग सामान्य दिनों की अपेक्षा सोमवार व मंगलवार को पड़ने पर इसका महत्व खास हो जाता है। माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रहकर स्नान करने का विधान है। 31 जनवरी को अमावस्या तिथि दोपहर 2.15 बजे से शुरू होगी। इसके बाद एक फरवरी को 11.15 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन दान, तर्पण, पितृ यज्ञ करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इस दिन पितरों के निमित्त जलांजलि देने से घर में सुख-सृमद्धि आती है। मौनी अमावस्या के दिन ही सृष्टि के आदि पुरुष महाराज मनु का जन्म हुआ था। इस कारण भी इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
इस दिन यदि कोई गंगा तट पर नहीं पहुंच पाता है तो वो घर के बाहर किसी नदी में, तालाब में या घर पर ही स्नान कर ले तो उसे पूरा पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन गरम कपड़े, घी, तिल, चावल, कंबल, दूध आदि का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।