सीमित संसाधनों के दबाव में अपने खर्चों में कटौती कर रही प्रदेश सरकार के एक फैसले को लेकर सचिवालय कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। कुछ दिन पूर्व मंत्रिमंडल ने फैसला लिया कि राजकीय सेवा में आने वाले सभी कर्मचारियों के केंद्र सरकार से अधिक वेतनमान नहीं दिया जाएगा। सरकार का यह दावा भी है कि यह मौजूदा सेवारत कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा, लेकिन सचिवालय संघ आशंकित है कि सरकार के इस फैसले से सचिवालय कर्मियों के हित प्रभावित होंगे। इस मसले पर संघ और सरकार आमने-सामने आ गए हैं।
कैबिनेट के फैसले के खिलाफ आंदोलित राज्य सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि इससे कर्मचारी हित प्रभावित होंगे। उनका तर्क है कि इससे आने वाले दिनों में नए तरह की वेतन विसंगति पैदा हो जाएगी। भविष्य में सीधी भर्ती से आने वाले कार्मिक और पदोन्नति से अगले पद पर जाने वाले सेवारत कार्मिक के वेतनमानों को लेकर होने वाले विरोधाभास और विसंगति के बारे में स्पष्ट करना चाहिए।