उत्तराखंड आरटीई एडमिशन में फर्जीवाड़े की शिकायतों पर सख्त प्रदेश सरकार

उत्तराखंड , आरटीई एडमिशन में फर्जीवाड़े की शिकायतों के चलते राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून को सख्त करते हुए प्रदेश सरकार ने कानून के तहत 25 फीसदी सीटाें पर छात्रों को दाखिला के बाद रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं करने पर प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द करने का आदेश जारी किया है। अब शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई ऐक्ट) के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन लेने वाले प्राइवेट स्कूलों को छात्रों का पूरा रिकार्ड अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के साथ ही सभी स्कूलों को खुद को शिक्षा विभाग के पोर्टल पर भी अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड कराना होगा। ऐसा न करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

महानिदेशक-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने सभी सीईओ और समग्र शिक्षा अभियान के जिला परियोजना अधिकारियों को इस बाबत कड़े निर्देश जारी किए हैं। पोर्टल पर पंजीकरण न कराने वाले सभी स्कूलों को चिह्नित करने के निर्देश भी दिए हैं। सभी अधिकारियों को इस प्रक्रिया को 15 दिन के भीतर पूरा करने को कहा गया है।

आरटीई कोटे के तहत निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटें गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित हैं। इनका पूरा खर्च सरकार उठाती है। हर साल 100 करोड़ रुपये से ज्यादा रुपये फीस भुगतान के रूप में खर्च होते हैं। हालांकि इसका भुगतान केंद्र सरकार करती है लेकिन इसका पूरा ब्योरा मुहैया कराना होता है। समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के सालाना बजट एप्रेजल के दौरान कई खामियां सामने आईं है। कई स्कूल बिना विधिवत मान्यता लिए ही चलाए जा रहे हैं। कई स्कूलों ने अपनी मान्यता को रिन्यू ही नहीं कराया। इसके बावजूद स्कूल लगातार आरटीई के एडमिशन ले रहे हैं। महानिदेशक के अनुसार ये तथ्य सामने आने पर केंद्र सरकार ने इसे घोर लापरवाही और कानून के उल्लंघन के रूप में लिया लिया है। इन खामियों की वजह से राज्य को काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है।

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