सिलक्यारा सुरंग के ऊपर से हो रही वर्टिकल ड्रिलिंग में लोहे के गार्टर को भेदना आसान नहीं होगा। रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने भी इसे बड़ी चुनौती बताया है। हालांकि, उनका कहना है कि गार्टर को काटने का कोई न कोई उपाय जरूर निकाल लेंगे।
सिलक्यारा सुरंग में जहां भूस्खलन हुआ बस वही एक मात्र हिस्सा था, जिसमें लोहे के गाटर नहीं लगे थे। यहां उपचार का काम किया जा रहा था कि वहां भूस्खलन हुआ और उसका मलबा करीब 60 से 70 मीटर के दायरे में फैल गया। इसके आगे सुरंग में लाइनिंग के साथ लोहे के गार्टर लगाए गए हैं।
हादसे के दूसरे दिन ही श्रमिकों को बचाने के लिए पांच प्लान तैयार कर लिए गए, जिसमें वर्टिकल ड्रिलिंग भी शामिल था। इसके लिए जरूरी मशीनें भी मंगवा कर रख ली गईं थीं, लेकिन वर्टिकल ड्रिलिंग पर काम हादसे के 14 दिन बाद रविवार से शुरू हुआ। यह काम शुरुआत में ही कर लिया होता तो अब तक 86 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी होती।