मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार अब जिलों के प्रभारी सचिवों की व्यवस्था खत्म करने जा रही है। शासन में तैनात अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव से लेकर सचिव व प्रभारी सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारी अब प्रत्येक महीने किसी एक जिले का दौरा करेंगे।
निर्देश के अनुसार जिले के दौरे में अधिकारी अपने विभाग से संबंधित कार्यों के साथ सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं व कार्यक्रमों की जमीनी हकीकत का पता लगाएंगे और जरूरी दिशा-निर्देश देंगे। इन सभी आलाधिकारियों को रात्रि प्रवास भी करना होगा। सचिव नियोजन आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसकी पुष्टि की है।
प्रदेश में शासन स्तर से योजनाओं की प्रगति और निगरानी के लिए प्रभारी सचिवों की व्यवस्था है। प्रभारी मंत्रियों के साथ प्रभारी सचिव अपने-अपने जिलों का दौरा कर विकास कार्यों की समीक्षा करते हैं और जरूरी दिशा-निर्देश देते हैं, लेकिन इससे वे एक ही जिले तक सीमित रह जाते हैं।मुख्यमंत्री धामी ने यह महसूस किया कि शासन में तैनात उच्चाधिकारियों को विकास की जमीनी सच्चाई का पता लगाने के लिए किसी एक जिले तक सीमित नहीं रहना चाहिए इसलिए उन्होंने अधिकारियों को ताकीद किया कि वे ऐसी व्यवस्था बनाएं कि शासन का हर बड़ा अधिकारी एक साल में सभी जिलों का दौरा कर आए।
आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि इस नई व्यवस्था से सभी सचिवों को साल में सभी जिलों में विकास की प्रगति जानने का अवसर मिलेगा। वे अपने विभागों से संबंधित योजनाओं की वास्तविक स्थिति जान सकेंगे। उन्हें शासन स्तर पर बनाई जाने वाली विकास योजनाओं, कल्याणकारी कार्यक्रमों, केंद्र व राज्य की फ्लैगशिप योजनाओं की जमीनी हकीकत का पता कर पाएंगे। साथ उनमें सुधार के लिए मौके पर दिशा-निर्देश दे सकेंगे।