हरिद्वार और देहरादून के बीच दो ऐसे हादसे हुए हैं कि 110 यात्रियों की जान पर बन आई।एक बस के टायर चलते-चलते निकल गए, तो दूसरी बस का टायर चलते-चलते फट गया। जी हां देहरादून हरिद्वार नेशनल हाईवे पर कुआंवाला में रोडवेज बस के पिछले दोनों टायर चलती बस से निकल कर बाहर आ गए। ये बस हरिद्वार से 56 सवारियों को लेकर देहरादून आ रही थी। शुक्र इस बात का रहा कि टायर बाहर निकलते ही बस की बॉडी उस पर टिक गई। किसी तरह ड्राइवर ने बस को कंट्रोल में कर दिया। गनीमत इस बात की रही कि आगे और पीछे की तरफ कोई अन्य वाहन नहीं था वरना हादसा बहुत खतरनाक हो सकता था
दूसरी घटना भी कुआं वाला के पास मिंयावाला में हुई। देहरादून से एक रोडवेज बस 54 यात्रियों को हरिद्वार ले जा रही थी। स्पीड में चलती बस का टायर फट गया। बस कंट्रोल से बाहर हो गई और स्ट्रीट लाइट के पोल को तोड़कर डिवाइडर पर चढ़ गई। हैरानी की बात यह है कि दोनों ही बसें जांच के बाद सड़क पर भेजी गई थी। आखिर ऐसी कौन सी लापरवाही हुई 110 लोगों की जान पर बन आई? शुक्र तो इस बात का है कि इन हादसों में कोई जनहानि नहीं हुई। हैरानी की बात यह है कि रोडवेज को सड़क पर भेजने से पहले फिटनेस जांच की जिम्मेदारी डिपो के एजीएम से लेकर फौरमैन और मिस्त्री तक की होती है। अक्सर देखा गया है कि एजीएम कभी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते और इसके बाद फौरमैन ही बस को प्रमाणित करके आगे भेज देते हैं। ऐसे मामलों में सख्त से सख्त कार्रवाई की जरूरत है।