प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे के संबंध में एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसके मुताबिक इस महत्वाकांक्षी परियोजना को परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की ओर से हरी झंडी मिल गई है। जिसके बाद अब परियोजना के निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है। बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद अब इस परियोजना की राह में आने वाले लगभग 11 हजार पेड़ों को काटा जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके एवज में वृक्षारोपण करने के भी निर्देश दिए हैं। इसके लिए ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) की तरफ से गठित एक्सपर्ट पैनल के पुनर्गठन का निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया है। बता दें कि दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे के निर्माण से जहां दोनों शहरों के बीच की दूरी तय करने में लगने वाला समय 5 से 6 घंटे तक कम हो जाएगी वहीं इससे उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की ओर से हरी झंडी मिल गई है। जिसके बाद अब परियोजना के निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है। बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद अब इस परियोजना की राह में आने वाले लगभग 11 हजार पेड़ों को काटा जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके एवज में वृक्षारोपण करने के भी निर्देश दिए हैं। इसके लिए ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) की तरफ से गठित एक्सपर्ट पैनल पुनर्गठन का निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया है। बता दें कि दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे के निर्माण से जहां दोनों शहरों के बीच की दूरी तय करने में लगने वाला समय 5 से 6 घंटे तक कम हो जाएगी वहीं इससे उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना के तहत बनने वाले इस एक्सप्रेस वे के निर्माण में बड़ी समस्या यूपी के गणेशपुर से लेकर उत्तराखंड के अशारोदी तक का 20 किलोमीटर लंबा स्ट्रेच है। घने जंगलों से होकर गुजरने वाले इस इलाके में एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए लगभग 11 हजार पेड़ों को काटा जाना है। जिसके कारण कई एनजीओ और पर्यावरणप्रेमियों की तरफ से इसका विरोध किया जा रहा था। जिसके बाद एनजीटी द्वारा इसके लिए केंद्रीय पलूशन कंट्रोल बोर्ड, वन्यजीव संस्थान, फॉरेस्ट रिसर्च सहित 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। जिसकी अगुवाई का जिम्मा एनजीटी द्वारा उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव को दिया था। परंतु बीते दिनों इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने इस एक्सपर्ट पैनल की अगुवाई का जिम्मा पर्यावरण मंत्रालय में महानिदेशक (फॉरेस्ट) सी पी गोयल को सौंपने का आदेश दिया है।