पंचायत चुनाव में स्थगन आदेश सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है। आरक्षण प्रक्रिया ही अब तक तीन बार स्थगित की जा चुकी है। इससे ग्रामीणों में रोष पनपने लगा है। पिछले साल 28 मार्च को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल संपन्न हो गया था। तब से पंचायतों में बतौर प्रशासक अफसर कार्यभार संभाले हुए हैं।
पंचायत चुनाव कराने के लिए पिछले साल ही प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। इसमें परिसीमन प्रक्रिया को संपन्न कराने में भी कई बार स्थगन के आदेश दिए गए। कभी शासन की ओर से गठित नई नगर पंचायतों का मामला बीच में पड़ जाता था तो कभी अन्य आदेश आड़े आ जाते थे। कोरोना काल के कारण भी प्रक्रिया बाधित रही। किसी तरह चुनाव के लिए परिसीमन और मतदाता सूची फाइनल कर दी गई थी।
पंचायत चुनाव प्रक्रिया कर दी गई स्थगित, निवर्तमान प्रधानों में निराशा
रुड़की में दो साल से पंचायत चुनाव का इंतजार कर रहे निवर्तमान प्रधान और भावी प्रधानों के अरमानों पर फिर पानी फिर गया है। एक दिन पहले शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया के अगले ही दिन स्थगित होने से निवर्तमान प्रधानों में रोष है। उन्होंने सरकार के साथ ही निर्वाचन आयोग से भी चुनाव प्रक्रिया जल्द से जल्द कराने की मांग की है।
हरिद्वार जिले में पंचायतों का कार्यकाल 29 मार्च 2020 को समाप्त हो गया था। इसके बाद प्रधानों के बस्ते जमा करवा दिए गए थे। साथ ही गांव में छह माह के लिए प्रशासक नियुक्त कर दिए गए थे। प्रशासक नियुक्त होते ही सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू की थी। प्रशासन ने पंचायतों की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण करते हुए इनका अंतिम प्रकाशन भी कर दिया था।