मतदान संपन्न होने के बाद प्रत्याशियों का पूरा समय वोटों के गुणा-भाग में बीता। देहरादून की दस विधानसभा सीटों पर कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां भितरघात की आशंका से दिग्गजों के चेहरे पर शिकन देखने को मिली। यहीं नहीं वोटरों की खामोशी भी इस बार प्रत्याशियों के जीत-हार के गुणा-भाग को गड़बड़ा रही है। राजनीतिक पंडित भी मतदाताओं के इस खामोशी से जीत-हार का सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं।
पार्टी स्तर पर भी किया जा रहा प्रत्याशियों की जीत-हार का आंकलन
सोमवार को विधानसभा की सभी दस सीटों पर मतदान संपन्न हो गया। दून की दस विधानसभा सीटों पर 62.40 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना मत का प्रयोग किया। मतदान संपन्न होने के बाद सभी प्रत्याशी अपनी जीत-हार का गुणा भाग करने में जुट गए हैं। पार्टी स्तर पर भी प्रत्याशियों की जीत-हार का आंकलन किया जा रहा है।
सियासी पंडितों की माने तो दून जिले की दस विधानसभा सीटों की बात करें तो सभी सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सिमटता नजर आ रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो 10 सीटों में से नौ सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था। चकराता सीट से कांग्रेस के प्रीतम सिंह ही ऐसे थे जो विधानसभा पहुंचे थे लेकिन जीत का अंतर मात्र 1543 ही रहा।
हालांकि विकासनगर, सहसपुर, धर्मपुर, रायपुर, राजपुर रोड, कैंट मसूरी डोईवाला व ऋषिकेश सीट पर भाजपा प्रत्याशी काफी अंतर से जीते थे। अधिकतर सीटों पर जीत का अंतर पांच हजार से दस हजार तक रहा। इस बार भाजपा को कई सीटों पर बगावत और कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। इसमें प्रमुख रूप से कैंट, रायपुर, धर्मपुर, डोईवाला सीट शामिल है
हरबंश कपूर के निधन के बाद कई नेता ऐसे थे जो इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे लेकिन पार्टी ने परिवार पर ही विश्वास जताते हुए उनकी पत्नी सविता को मैदान में उतारा। ऐसे में यहां पार्टी से बगावत कर दिनेश रावत मैदान में उतरे। चर्चा तो यहां तक है कि कई कार्यकर्ता भी खुले मन से पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में नहीं नजर आए। इस सीट पर भी भीतरघात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस में हालांकि सीधे तौर पर बगावत नहीं दिखी लेकिन बताया जा रहा है कि टिकट के दावेदार भीतरखाने पार्टी को कहीं न कहीं नुकसान पहुंचा सकते हैं। रायपुर सीट पर भाजपा में तनातनी चुनाव से पहले भी कहीं बार सड़क पर दिखी। यहां विधायक उमेश शर्मा काऊ के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोला हुआ था।
चुनाव में यह तनातनी भाजपा को कितनी नुकसान पहुंचाती है, यह तो परिणाम ही बताएगा। उधर, हीरा सिंह बिष्ट के पक्ष में यहां कांग्रेसी एकजुट नजर आए। धर्मपुर सीट पर भी बगावत के कारण पार्टी में उपापोह की स्थिति है। यहां भी पार्टी से बगावत कर बीर सिंह पंवार मैदान में हैं। यही स्थिति सहसपुर, डोईवाला और ऋषिकेश में दिख रही है लेकिन जीत को लेकर किसी भी सीट पर दोनों पार्टियां पूरी तरह से आश्वस्त नजर नहीं आ रही हैं।
इसका बड़ा कारण भीतरघात की आशंका है। मतदाताओं की खामोशी ने भी नेताओं की नींद उड़ा रखी है। मतदाताओं की इस खामोशी से राजनीतिक पंडित भी चकराए हुए हैं। लिहाजा, प्रत्याशियों, पार्टियों की तरह वह भी किसी की जीत से आश्वस्त नजर आ रहे हैं। वह भी हर सीट पर कांटे का मुकाबला बता रहे हैं