Uttarakhand: हाईकोर्ट शिफ्टिंग को लेकर प्रदेशभर में हंगामा, कुमाऊं के वकील विरोध में…तो गढ़वाल के पक्ष में

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर शुक्रवार को आहूत की गई बैठक में अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट की बेंच की शिफ्टिंग की पहल का विरोध किया है। तय किया गया कि सोमवार को बार सभागार में एक और बैठक की जाएगी। जिसके बाद रिजाल्यूशन को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

हाईकोर्ट बार सभागार में हुई बैठक में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता डीके शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट यहीं रहनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता केएस रौतेला ने सवाल किया कि क्या किसी न्यायालय के पास ये अधिकार हैं? हाईकोर्ट स्थापना के लिए राज्य, केंद्र समेत विभिन्न स्तर पर सहमति, अनुमोदन की लंबी प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया से बनी हाईकोर्ट में अब तक अरबों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। अब विस्थापन स्वयं ही सवालिया निशान है। अनुराग बिसारिया ने कहा कि सभी हाईकोर्ट डिविजन को लेकर अपनी राय दर्ज कराएं। इसमें कांफिडेंसियल वोटिंग भी हो सकती है। बहुमत की राय सभी को स्वीकार होगी।

हाईकोर्ट बार के पूर्व महासचिव रहे जयवर्धन कांडपाल ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद बीस वर्षो बाद हम अधिवक्ताओं को चैंबर मिले हैं, चाबी मिलने से पूर्व अब कोर्ट शिफ्टिंग की बात हो रही है। दीप जोशी ने कहा कि हमें मिलकर हाईकोर्ट बेंच अन्यत्र भेजे जाने के नाम पर अधिवक्ताओं में फूट डालने की पहल को नाकाम करना होगा। संजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड राज्य हमें आंदोलन व शहादत के बाद मिला। जन भावनाओं के अनुरूप देहरादून में अस्थाई राजधानी बनी जबकि नैनीताल में स्थाई हाईकोेर्ट। पहाड़ी राज्य की कल्पना के अनुरूप हाईकोर्ट को यहीं रहना चाहिए।

एच रावल ने कहा कि जब से हाईकोर्ट की स्थापना हुई है इसे अन्यत्र ले जाने की बात की जा रही है। करन आनंद ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी को यूनिटी के साथ पक्ष रखना होगा। जगदीश बिष्ट ने कहा कि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट 1966 में बनी आज तक वहां एक ही बेंच है. उत्तराखंड में 2020 में बना और दो दशक में इसे अन्यत्र ले जाने की बात की जा रही है, जो कतई न्यायसंगत नहीं है। अध्यक्ष डीसीएस रावत ने अधिवक्ताओं का आह्वान किया कि वह सोमवार की मीटिंग में तथ्यों के अनुरूप अपना पक्ष रखे और सुझाव दें। संचालन महासचिव सौरभ अधिकारी ने किया

हाईकोर्ट के अधिवक्ता तथा भाजपा नेता नितिन कार्की के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व राज्य सभा सासंद महेंद्र भट्ट को सौंपा गया। जिसमें अधिवक्ता तथा राज्य के निवासियों की भावनाओं के अनुरूप हाईकोर्ट को अन्यत्र स्थापित किए जाने की पहल की रोकथाम के प्रयास की मांग की गई। बड़े आंदोलन व शहादत के बाद राज्य का निर्माण हुआ और यहां हाईकोर्ट स्थापित हुई। इसे यहां से विस्थापित करना कतई न्यायसंगत व जनहित में नहीं है।

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