आस्था और विज्ञान से अंजाम तक पहुंचा मिशन सिलक्यारा, एजेंसियों के साथ ही विशेषज्ञों को मिली कामयाबी

News Khabar Express

आस्था और विज्ञान से सिलक्यारा मिशन अंजाम तक पहुंचा है। 17वें दिन बचाव कार्य में जुटी एजेंसियों के साथ ही सेना, विश्व के टनल विशेषज्ञों को कामयाबी मिली है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और सीएम धामी के दृढ़ संकल्प से सरकार को सफलता मिली है।

दिवाली के दिन उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में भू-धंसाव से 41 मजदूर अंदर फंस गए हैं। इन मजदूरों की सकुशल बाहर निकलने के लिए जहां लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे थे, वहीं, विभिन्न एजेंसियां बचाव कार्य में जुटी थी। मिशन सिलक्यारा में बचाव कार्य में बाधा भी आई। लेकिन आस्था व विज्ञान से मिशन अंजाम तक पहुंचा है। बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, थल सेना, वायुसेना, श्रमिकों की अहम भूमिका मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और ‘इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन’ के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स भी टनल के मुहाने पर बनाए गए बौखनाग मंदिर में सिर झुकाकर श्रमिकों को सकुशल वापसी के लिए आशीर्वाद मांगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री को फोन कर लगातार बचाव कार्य का फीडबैक लेते रहे। दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गई

इसके लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों की मदद ली गई। इन विमानों ने मशीन के पुर्जों को चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर पहुंचाया और यहां से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सिलक्यारा पहुंचाया गया। सुरंग में लगभग 50 मीटर ड्रिलिंग के बाद सरिया सामने आने के कारण इस मशीन में भी खराबी आ गई। फिर हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया। कटर से ऑगर को काटने के बाद 16वें दिन मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई। 17वें दिन सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

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दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर आ गए हैं। रैट माइनर्स की टीम ने मंगलवार को मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने में सफलता पाई। बीते 17 दिनों से कई टीमें बचाव अभियान में जुटी थीं। पहले ऑगर मशीन से सुरंग में पाइप […]

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