राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के एक वरिष्ठ सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने गुरुवार को कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में कोई जल्दबाजी की जरूरत नहीं है; यह कहना कि अगले दो घंटों में मजदूर बाहर आ जाएंगे, ठीक नहीं होगा. ऐसी उम्मीदों से दबाव बढ़ता है.
हर मौसम के अनुकूल चारधाम सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा 12 नवंबर रविवार सुबह ढह गया था जिसके बाद से उसमें फंसे 41 मजदूरों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हमें टनल में फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव ऑपरेशन में लगे हुए लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी समझनी होगी. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन पूरा करने का दबाव संभावित रूप से जोखिम बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा कि यह चुनौतीपूर्ण काम है. यह उम्मीद करते रहना कि अगले दो घंटों में बचाव कार्य पूरा हो जाएगा, इससे कार्यबल पर दबाव डालता है. यह गलत है. इस स्थिति में फंसे हुए मजदूरों और बचाव दल दोनों जोखिम में आ सकते हैं.
हमें दोनों पक्षों की सुरक्षा को ध्यान में रखना होगा. हालांकि, अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन अगले कुछ घंटों में या कल तक समाप्त हो सकता है. उन्होंने बताया कि अभी पांच-दिशाओं से प्रयास किए जा रहे हैं. पूरा ध्यान फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित निकालने पर है और कुछ बाधाएं थीं जिन्हें अब दूर कर लिया गया है. सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उनसे लगातार बातचीत हो रही है.
सीएम धामी ने सुरंग में फंसे मजदूरों में से गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से बातचीत की और उनका हालचाल जाना. साथ ही उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तेजी से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पूरे देशभर से मशीनें इस रेस्क्यू मिशन में लगी हैं. स्वयं प्रधानमंत्री उनके बारे में सुबह सात बजे अपडेट लेते हैं. अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है.