लाखों की आबादी के बीच रास्ता बनाने वाला मालन पुल अवैध खनन की भेंट चढ़ गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल के उत्तर व दक्षिण दिशा में लगातार अवैध खनने से बड़े गड्ढ़े बन गए थे, जिससे मालन पुल के पिलर नंबर नौ और 10 लगातार कटाव झेल रहे थे। मिट्टी खिसकने से पिलर की जड़ें कमजोर हो गई थीं।
विभागीय अधिकारी भले ही मालन पुल टूटने का कारण बाढ़ और कटाव बता रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि लोक निर्माण विभाग अपने पुल को बाढ़ व अवैध खनन से नहीं बचा पाया। एक सप्ताह पहले नदी का बहाव नियंत्रित करने को चैनेलाइजेशन का काम शुरू कराया गया था लेकिन नौ और 10 नंबर के पिलरों की ओर ध्यान नहीं दिया।
पुल टूटने से भाबर के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्षेत्रवासी पुल टूटने की वजह लोक निर्माण विभाग की उदासीनता बता रहे हैं। कहा कि पुल को पहले से ही खतरा बना था, ऐसे में उनकी समय रहते उचित देखरेख नहीं की गई इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा हैकांग्रेस के साथ ही यूकेडी के पदाधिकारियों ने मालन पुल के ढहने के लिए अवैध खनन और अधिकारियों की हीलाहवाली करार दिया। यूकेडी के वरिष्ठ नेता डॉ. शक्तिशैल कपरवाण और महेंद्र सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय प्रशासन व लोनिवि की उदासीनता आम जनता पर भारी पड़ रही है।