आरएसएस के संघ शिक्षा वर्ग में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तीन दिन तक शिक्षार्थियों के बीच रहकर उन्हें संघ की रीति-नीति और उद्देश्यों की जानकारी दी। साथ ही स्वयंसेवक के गुणों के बारे में भी बताया। इसके साथ ही अखंड भारत और सनातन धर्म, संस्कृति की रक्षा का सूत्र भी दिया। उन्होंने शिक्षार्थियों के साथ ही शिक्षकों और व्यवस्था में लगे प्रांत, क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ बैठक कर चर्चा की।पूरे कार्यक्रम में भागवत की मीडिया से दूरी बनी रही। मंगलवार की शाम कड़ी सुरक्षा के बीच भागवत शताब्दी ट्रेन से दिल्ली रवाना हो गए।द्रोण ग्रुप ऑफ कॉलेज में चल रहे संघ शिक्षा वर्ग में संघ प्रमुख भागवत 10 जून को पहुंचे थे। उन्होंने 11 जून से 13 जून तक कार्यक्रम में बौद्धिक सहित विभिन्न सत्रों में शिरकत की।उन्होंने उत्तराखंड, ब्रज और मेरठ प्रांत के 244 शिक्षार्थियों से विभिन्न चरणों में मुलाकात की और उनके सवालों के सरल जवाब देकर जिज्ञासाओं को शांत किया। दो दिन में हुए बौद्धिक सत्र में उन्होंने संघ के उद्देश्य, कार्यप्रणाली की विस्तार से जानकारी शिक्षार्थियों को दी।
उन्होंने कहा कि संघ लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। उसने अपनी दिशा नहीं बदली है। संघ संपूर्ण संस्कारवान कार्यकर्ता का निर्माण करता है। कोई भी कार्य एक व्यक्ति से नहीं होता, संगठन से ही उद्देश्य पूर्ति होती है। विश्व में जो देश आगे बढ़े हैं, वहां के नागरिकों ने भी अपने व्यक्तिगत हित छोड़कर राष्ट्रहित की सोच रखी तभी उन देशों का विकास हुआ है।भारत भी अब धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को निजी स्वार्थों को छोड़कर राष्ट्रहित की सोच को बढ़ावा देना चाहिए। देश के साथ-साथ हमको धर्म का संरक्षण करना भी आवश्यक है। संघ अनुशासिक संगठन है। शाखा लगाना बहुत जरूरी है। इसमें होने वाली गतिविधियों से शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं संपर्क भी बढ़ता है। दोपहर को संघ प्रमुख ने शिक्षार्थियों के साथ भोजन किया।मंगलवार शाम शिविर से विदा लेकर संघ प्रमुख रुद्रपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन से रवाना हो गए