उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस प्रभारी के पद से मुक्त करने की अपील की है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए उन्होंने यह बात कही है। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि मैं आज एक बड़ी उपापोह से उबर पाया हूं। हरीश रावत ने कहा कि एक तरफ जन्मभूमि (उत्तराखंड) के लिए मेरा कर्तव्य है और दूसरी तरफ कर्मभूमि पंजाब के लिए मेरी सेवाएं हैं, स्थितियां जटिलतर होती जा रही हैं, क्योंकि ज्यों-ज्यों चुनाव आएंगे, दोनों जगह व्यक्ति को पूर्ण समय देना पड़ेगा। कल उत्तराखंड में बेमौसम बारिश ने जो कहर ढाया है, मैं कुछ स्थानों पर जा पाया, लेकिन आंसू पोछने मैं सब जगह जाना चाहता था। मगर कर्तव्य पुकार, मुझसे कुछ और अपेक्षाएं लेकर खड़ी हुई।
मैं जन्मभूमि के साथ न्याय करूं, तभी कर्मभूमि के साथ भी न्याय कर पाऊंगा। मैं पंजाब कांग्रेस और पंजाब के लोगों का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे निरंतर आशीर्वाद और नैतिक समर्थन दिया। संतों, गुरुओं की भूमि, श्री नानक देव जी व गुरु गोबिंद सिंह जी की भूमि से मेरा गहरा भावनात्मक लगाव है। मैंने निश्चय किया है कि लीडरशिप से प्रार्थना करूं कि अगले कुछ महीने में उत्तराखंड को पूर्ण रूप से समर्पित रह सकूं, इसलिए पंजाब में जो मेरा वर्तमान दायित्व है, उस दायित्व से मुझे अवमुक्त कर दिया जाए। आज्ञा पार्टी नेतृत्व की, विनती हरीश रावत की।
पंजाब और उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। हरीश रावत पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी हैं। इस कारण वह उत्तराखंड पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। वहीं हरीश रावत ने बुधवार को राहुल गांधी से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि वह राहुल गांधी से उत्तराखंड की बात करने गए थे। राज्य में अगले साल चुनाव होने हैं और वर्तमान में प्राकृतिक आपदा ने उत्तराखंड में तबाही ला दी है। इसी संबंध में वह राहुल गांधी से बात करने गए थे। वहीं हरीश रावत ने कहा वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलेंगे। हरीश रावत के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद राहुल गांधी से उनकी मुलाकात के कई मायने निकले जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है।