एशिया के सबसे बड़े अंडरपास में बाघ-तेंदुओं के मूवमेंट का होगा अध्ययन,

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देहरादून-दिल्ली छह लेन एक्सप्रेसवे में बन रहे एशिया के सबसे बड़े अंडरपास में वन्यजीवों के मूवमेंट को लेकर अध्ययन होगा। इसके लिए नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) ने वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कैमरा ट्रैप खरीदने के लिए राशि दे दी है।

एनएचएआई ने इको रेस्टोरेशन के कार्य के लिए उत्तराखंड और यूपी वन विभाग को भी राशि देने का फैसला किया है। छह लेन एक्सप्रेस वे तैयार हो रहा है। उसके एक तरफ राजाजी टाइगर रिजर्व है और दूसरी तरफ यूपी का शिवालिक वन प्रभाग। वर्ष 2020 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वन्यजीवों के दृष्टिगत एक अध्ययन किया था।

इसके बाद संबंधित क्षेत्र में एलिवेटेड सड़क बनाने का सुझाव दिया गया था। इस 14 किमी एलिवेटेड सड़क के नीचे वन्यजीवों के लिए अंडरपास तैयार होने का काम अंतिम चरण में है। इस निर्माण कार्य के पूरा होने के बाद अंडरपास में वन्यजीवों के मूवमेंट का अध्ययन वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया करेगा। इसके लिए 576 कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे।

इसके लिए एनएचएआई ने राशि देगा। इसके अलावा एनएचएआई ने 40 करोड़ रुपये राजाजी टाइगर रिजर्व और देहरादून वन प्रभाग को इको रेस्टोरेशन के लिए दिए हैं। इको रेस्टोरेशन का आशय विकास कार्यों से प्रभावित होने वाले पारिस्थितिकीय तंत्र की पुनर्स्थापना से है। इससे जंगल में चेकडैम बनाने समेत कई अन्य कार्य होंगे।

एनएचएआई के सूत्रों के अनुसार, यह कार्य 10 साल चरणबद्ध ढंग से होंगे। इसके अलावा एफआरआई, देहरादून को साल के पेड़ों के अध्ययन के लिए भी तीन करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। इसकी पहली किस्त जारी कर दी गई है। साल के प्राकृतिक तौर पर तैयार होने में समस्या आ रही है।

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